Comm Eye Health South Asia Vol. 38 No. 127 2025 pp 17. Published online 20 November 2025.

मोतियाबिंद के इलाज में नजर के नतीजों को बेहतर बनाना

Related content

मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद चश्मे का नंबर आना उन मुख्य कारणों में से एक हैं, जिनकी वजह से मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद मरीज़ों को उतनी अच्छी नजर नहीं मिल पाती जितनी उन्हें रोज़मर्रा के काम करने के लिए चाहिए।

मोतियाबिंद आज भी दुनिया में अंधेपन का सबसे बड़ा कारण है,और इसका सुरक्षित और असरदार इलाज कई दशकों से मौजूद है। हर मोतियाबिंद ऑपरेशन मरीज़ की नजर और आत्मनिर्भरता वापस पाने का एक मौका होता है, लेकिन फिर भी कई मरीज़ों को ऑपरेशन के बाद उतनी अच्छी नजर नहीं मिल पाती जितनी उन्हें चाहिए। इसका सबसे बड़ा कारण होता है कमज़ोर दृष्टि परिणाम यानी चश्मे का नंबर आना (रीफ्रैक्टिव आउटकम) – जब मोतियाबिंद हटाने और कृत्रिम लेंस (इंट्राओकुलर लेंस (IOL)) लगाने के बाद आँख ठीक से रोशनी पर फोकस नहीं कर पाती।

कमज़ोर रीफ्रैक्टिव परिणामों का मतलब है कि तकनीकी रूप से ऑपरेशन सफल होने के बावजूद, मरीज़ को साफ़ देखने या रोज़मर्रा के काम करने में दिक्कत हो सकती है। मोतियाबिंद सेवाओं का उद्देश्य सिर्फ धुंधली लेंस को हटाना नहीं है, बल्कि मरीज़ को साफ़ और उपयोगी दृष्टि देना भी है। इसलिए, रीफ्रैक्टिव परिणामों को समझना और बेहतर बनाना आँखों की देखभाल करने वाली पूरी टीम के लिए ज़रूरी है — बायोमेट्री तकनीशियन और सर्जन से लेकर काउंसलर और रिफ्रेक्शनिस्ट तक।

सटीक बायोमेट्री (आँखों का माप) मोतियाबिंद ऑपरेशन की सबसे पहली और सबसे ज़रूरी कड़ी है।मोतियाबिंद बायोमेट्री एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें आँख के शारीरिक माप लिए जाते हैं – जैसे कॉर्निया की वक्रता, आँख की लंबाई (axial length) और आँख के अगले हिस्से की गहराई (anterior chamber depth) ।

इन मापों का उपयोग यह तय करने के लिए किया जाता है कि ऑपरेशन के दौरान लगाए जाने वाले इंट्राओकुलर लेंस (IOL) की सही शक्ति/नंबर क्या होनी चाहिए, ताकि मरीज़ को ऑपरेशन के बाद साफ़ दृष्टि मिल सके।

सटीक बायोमेट्री और सही IOL ऑपरेशन के बाद मरीज़ को मोटे चश्मे की ज़रूरत बहुत कम पड़ती है। यहां तक कि सीमित साधनों वाले या आउटरीच सेटिंग्स में भी, अगर माप ठीक से लिया जाए, उपकरणों की नियमित कैलिब्रेशन हो, और रिकार्ड ठीक से रखे जाएँ, तो नतीजों में बड़ा सुधार लाया जा सकता है। जैसा कि कहा गया है, “जिसे आप माप नहीं सकते, उसे आप सुधार भी नहीं सकते।”

हालाँकि केवल सटीक माप लेना ही पर्याप्त नहीं, IOL का सही चयन और उसका सही तरीके से रख-रखाव भी उतना ही महत्वपूर्ण है। अच्छी गुणवत्ता वाले और सही शक्ति के IOL का उपयोग, जिन्हें ठीक से संग्रहित और संभाला गया हो, ऑपरेशन के बाद दृष्टि के नतीजों और मरीज़ की संतुष्टि को बेहतर बनाता है।

सेवाओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विभिन्न शक्ति वाले IOL पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हों, ताकि बायोमेट्री का पूरा लाभ हर मरीज़ को मिल सके। IOL के गलत भंडारण या खराब रख रखाव से, सबसे अच्छा किया गया ऑपरेशन भी अपने अपेक्षित नतीजे नहीं दे पाता।

आख़िरकार, अच्छे परिणाम पाना पूरी टीम के सहयोग पर निर्भर करता है। सर्जन, नर्स, काउंसलर और तकनीशियन – सभी को मिलकर काम करना होता है ताकि माप सटीक हों, योजना सही बने, ऑपरेशन सुरक्षित हो और परिणामों की नियमित निगरानी की जा सके। हर टीम सदस्य मरीज़ की अच्छी दृष्टि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

सटीक बायोमेट्री, अच्छी गुणवत्ता वाले इंट्राओकुलर लेंस (IOL), विश्वसनीय आंकड़ों और प्रभावी संचार के मेल से, आँखों की देखभाल करने वाली टीमें यह सुनिश्चित कर सकती हैं कि हर मोतियाबिंद ऑपरेशन न केवल दृष्टि लौटाए, बल्कि मरीज़ के जीवन की गुणवत्ता भी बेहतर बनाए।

मुख्य सामुदायिक नेत्र स्वास्थ्य संदेश

1. अच्छी दृष्टि के लिए सटीक बायोमेट्री ज़रूरी है

• दोनों आँखों का माप लें और रीडिंग को मिलाकर देखें ताकि किसी गलती को पहचान सकें, फिर ही सही इंट्राओकुलर लेंस (IOL) पावर चुनें

• जहाँ संभव हो, ऑप्टिकल बायोमेट्री का उपयोग करें; अगर अल्ट्रासाउंड का उपयोग करें तो सुनिश्चित करें कि प्रोब ठीक से लगा हो और कॉर्निया पर ज़्यादा दबाव न पड़े

• बायोमीटर को नियमित रूप से कैलिब्रेट और सही रख रखाव करें ताकि माप सटीक रहें

• अगर दोनों आँखों के माप में बहुत अंतर दिखे या परिणाम सही न लगें, तो गणना दोबारा जांचें या माप फिर से करें

2. अच्छे गुणवत्ता वाले इंट्राओकुलर लेंस (IOL) का चयन और देखभाल बहुत महत्वपूर्ण है

• IOL पावर सही निकालने के लिए आँख की लंबाई (axial length) और कॉर्निया की वक्रता (keratometry) को सटीक रूप से मापें

• ऐसा बायोमेट्री फार्मूला चुनें जो आपके मरीजों और उपकरणों के अनुसार उपयुक्त हो (जैसे SRK/T, Barrett Universal II)

• उपयोग से पहले IOL के पैक और लेबल को ध्यान से देखें – पावर, स्टेरिलिटी और एक्सपायरी डेट/समाप्ति तिथि की जांच करें

• मरीज की फाइल में IOL का मॉडल और पावर लिखें ताकि बाद में ऑडिट और क्वालिटी मॉनिटरिंग/जांच की जा सके

3. रीफ्रैक्टिव परिणामों की निगरानी से मोतियाबिंद सेवाओं की गुणवत्ता बेहतर होती है

• हर मरीज को ऑपरेशन के बाद बिना चश्मे और चश्मे के साथ दृष्टि दर्ज करें ताकि ऑपरेशन के परिणामों का आकलन किया जा सके

• ऑपरेशन के बाद की चश्मे के नंबर को लक्ष्य चश्मे के नंबर से मिलाएं ताकि गलती के कारण पहचाने जा सकें

• परिणामों के आंकड़ों की नियमित रूप से समीक्षा करें और टीम मीटिंग में चर्चा कर सुधार की योजना बनाएं

• औसत प्रिडिक्शन एरर (mean prediction error) निकालने के लिए सरल उपकरण या सॉफ्टवेयर का उपयोग करें और ऑडिट के लिए रिकॉर्ड बनाए रखें

4. प्रशिक्षण और टीमवर्क से बायोमेट्री और IOL प्रक्रियाएं सुरक्षित और प्रभावी बनती हैं

• जो स्टाफ axial length और keratometry मापता है, उसे नियमित रूप से व्यावहारिक (hands-on) प्रशिक्षण दें

• बायोमेट्री, IOL के भंडारण और परिणाम दर्ज करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOPs) तैयार करें और उसका पालन करें

• सर्जन, ऑप्टोमेट्रिस्ट, नर्स और काउंसलर के बीच नियमित संवाद रखें ताकि गलती की संभावना कम हो

• मोतियाबिंद सेवा के हर चरण के लिए ज़िम्मेदारी और चेकलिस्ट तय करें ताकि काम प्रभावी और जवाबदेह बने

• जिन मामलों में अपेक्षित परिणाम नहीं मिले, उन्हें पूरी टीम के साथ मिलकर समीक्षा करें ताकि सबक सीखे जा सकें और सुधार हो